सपनों की दराज़ों को कभी हमने लगाए थे
वो ताले खुल नहीं पाते कुछ ऐसे जंग खाए हैं
हमें मालूम है जब हम उन्हें तुड़वा के खोलेंगे
वो ताले खुल नहीं पाते कुछ ऐसे जंग खाए हैं
हमें मालूम है जब हम उन्हें तुड़वा के खोलेंगे
तो सूरत आप हम उनकी कहाँ पहचान पायेंगे .....